एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस कार्रवाई शुरू कर दी है। आरोप है कि इन युवकों ने हिंदू मंदिर में घुसकर नमाज पढ़ी थी और इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल कर दी थी।

वहीं, हिन्दुओं ने मंदिर में हवन कर गंगाजल से शुद्धिकरण किया। भक्तों का कहना था कि बिना अनुमति के मंदिर में घुसकर नमाज पढ़ने के कारण उन्हें मंदिर का शुद्धिकरण करना पड़ा।

मंदिर के भक्तों ने पंडितों के साथ बैठकर शुद्धिकरण की प्रक्रिया के तहत हवन-पूजन किया। इस घटना को विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने 'नमाज जिहाद' बताया है।

संस्था के प्रवक्ता विनोद बंसल का कहना है कि मथुरा के परिक्रमा मार्ग पर स्थित नंदगाँव मंदिर में जिस तरह से कुछ ‘इस्लामी जिहादियों’ ने नमाज पढ़ने की कोशिश की, उससे कई सवाल खड़े हो जाते हैं। 

उन्होंने पूछा कि छलपूर्वक मंदिर में घुसना और वहाँ अनायास नमाज पढ़ कर उसकी तस्वीरें-वीडियो वायरल करना क्या किसी मानसिकता की ओर संकेत नहीं करता?

उन्होंने कहा कि ये जो सेक्युलरिज़्म का ढोंग रचने वाले लोग हैं, जो समानता की बात करते हैं, क्या वो जवाब देंगे कि किसी मस्जिद में जाकर हनुमान चालीसा या दुर्गा चालीसा का पाठ किया जा सकता है?

उन्होंने पूछा कि जामा मस्जिद या फतेहपुरी मस्जिद में किसी ने ऐसा किया है? क्या किसी मदरसे में ऐसा करने का दुःसाहस कोई कर सकता है? उन्होंने चेताया कि किसी भी प्रकार के ‘नमाज जिहाद’ को भारत में प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से ‘लव जिहाद’ में बेटियों को छलपूर्वक फँसाया जा रहा है, उन्हें धर्मान्तरित कर के उन्हें मार दिया जाता है। इस घटनाओं को मंदिरों के माध्यम से करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

उन्होंने आगे कहा कि पूजा करनी है तो पूजा की जगह पर करिए और नमाज पढ़ने के लिए नमाज की जगह पर जाइए। उन्होंने चेताया कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो इसके बहुत गंभीर परिणाम होंगे।

ये मामला ऐसे समय में आया है, जब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर मामला अदालत की चौखट पर जा पहुँचा है और मस्जिद द्वारा कब्जाई गई मंदिर की जमीन को वापस लेने के लिए अदालत से लेकर संतों के अखाड़े तक मुहीम शुरू कर दी गई है।

शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की याचिका पर इसी महीने सुनवाई होने वाली है। राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला आने के बाद इस मामले में भी हिन्दुओं को न्याय की उम्मीद जगी है।
अखिल भारतीय संत समिति ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है।

वाराणसी के संत जितेंद्रानद सरस्वती ने पूछा कि आखिर इन लोगों को पढ़ने के लिए एकमात्र जगह मंदिर ही क्यों दिखी?

संगठन महामंत्री ने समिति की तरफ से इन घटना की निंदा करते हुए कहा कि केवल मंदिरों में ही नमाज अदा होगी या फिर मस्जिदों में भी आरती करने की अनुमति दी जाएगी? वहीं सेवायतों द्वारा शुद्धिकरण यज्ञ किए जाने पर लोगों ने हर्ष व्यक्त किया।

मंदिर में कैसे घुसे थे मुस्लिम युवक ?

बता दें कि बीते गुरूवार (अक्टूबर 29, 2020) को नन्दगाँव के प्रसिद्ध नंदबाबा मंदिर में दोपहर को दो युवक अपने साथियों के साथ हरी टोपी लगा कर पहुँचे।

एक युवक ने अपना नाम फैजल खान बताया और अपने साथ आए साथियों का परिचय मोहम्मद चाँद, नीलेश गुप्ता और आलोक रतन के रूप में दिया।

उन लोगों ने बताया कि वो मंदिर के सेवायत पुजारी कान्हा गोस्वामी के दर्शन के लिए आए हैं और हिन्दू-मुस्लिम एकता में विश्वास रखने वाले लोग हैं।

वो अपने मोबाइल फोन में कई हिन्दू साधु-संतों और महंतों के साथ अपनी तस्वीरें भी दिखाने लगे, ताकि उन पर यकीन कर लिया जाए। इसके बाद वो लोग सीधे गेट संख्या 2 के पास पहुँचे।

कोरोना महामारी के चलते मंदिर में लोगों की चहल-पहल उतनी नहीं है, जिसका फायदा उठा कर फैजल और चाँद वहीं पर नमाज पढ़ने लगे और बाक़ी दोनों ने तस्वीरें क्लिक कीं।

वहाँ खड़े लोगों ने नमाज पढ़ने से लाख मना किया, लेकिन वो नहीं माने। फैजल खान ने मंदिर प्रबंधन को विश्वास में लेने के लिए रामायण की चौपाई ‘रामहि केवल प्रेम पियारा, जान लेहि सो जान निहारा’ का इस्तेमाल किया था।

उसने श्रीकृष्ण और उनके मित्र उद्धव के बीच प्रेम और ज्ञान को लेकर हुई चर्चा का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान ने प्रेम को ऊपर रखा था। उसने दावा किया कि उसका ग्रुप दिल्ली से सायकल से आया है। 

उसने ये भी कहा कि जो श्रीराम और श्रीकृष्ण का रास्ता है, वही पैगंबर का रास्ता है। अब नमाज के बाद मथुरा के नंदबाबा मंदिर का शुद्धिकरण हुआ है।

 

 

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