संसार में श्मशान घाट को लेकर कई तरह परंपराएं प्रसिद्ध हैं। मगर इस लेख में आप एक ऐसे श्मशान घाट के बारे में जानेंगे, जहाँ जलती चिताओं के सामने लड़कियां डांस करती है।

यह श्मशान घाट उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित है। इसे मणिकर्णिका श्मशान (Kashi Manikarnika) घाट के नाम से जाना जाता है, जहाँ चिता पर लेटने वाले मृत व्यक्ति को मोक्ष मिलता है।

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ऐसे कहा जाता है कि यह दुनिया का इकलौता ऐसा श्मशान घाट है, जहाँ चिता की आग कभी ठंडी नहीं होती। यहाँ जब लाश को जलाते हैं तो दूसरी ओर तेज संगीत में नाच-गाना होता है।

सैकड़ों वर्षों पुराना है रिवाज

facts about kashi manikarnika

मणिकर्णिका श्मशान घाट में जलती चिताओं के सामने नृत्य करने का रिवाज सैकड़ों वर्षों पुराना है। कहा जाता है कि सैकड़ों सालों पहले एक राजा मान सिंह नाम राजा हुए थे।

उनके द्वारा बनवाए गए बाबा मशान नाथ के दरबार में कार्यक्रम पेश करने के लिए प्रसिद्ध नर्तकियो (नाचने वाला) और कलाकारों को बुलाया गया था।

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यह मंदिर श्मशान घाट के बीचों बीच स्थित था। इसलिए कई कलाकारों ने प्रदर्शन करने से इंकार कर दिया था। राजा मान सिंह ने इस कार्यक्रम की घोषणा पूरे शहर में कर रखी थी।

इसलिए वह अपनी बात से मुकर नहीं सकते थे। राजा ने शहर की बदनाम गलियों में रहने वाली नगर वधुओं को इस मंदिर में डांस करने के लिए बुलाया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

चिता-नाचने की रात साल में एक बार आती है

kashi manikarnika

यह रात प्रत्येक वर्ष में चैत्र नवरात्रि अष्टमी की रात में आती है। माना जाता है कि यह रात इस श्मशान घाट के बेहद खास होती है।

साल में एक बार आने वाली इस रात में एक साथ चिताएं जलाई जाती है। जलती चिताओं के सामने वेश्याएं घुंघरुओं की ताल के साथ नृत्य प्रदर्शित करती हैं।

सैकड़ों सालों से चली आ रही इस परंपरा में वेश्याएं पूरी रात चिताओं के सामने नांच करती है। साल में सिर्फ एक बार जलती चिता और नाचने की महफिल एक साथ गवाह बनती है।

जीते जी मोक्ष पाती हैं वेश्याएं

कहा जाता है कि इस श्मशान घाट में नाचने वाली लड़कियां शहर की बदनाम गलियों की तवायफ (वेश्याएं) होती हैं।

मणिकर्णिका घाट पर मृत्यु के बाद मोक्ष की खोज में मुर्दों को लाया जाता है। वहीं पर ये वेश्याएं जीते जी मोक्ष हासिल करने आती हैं।

और वह मोक्ष यह होता है, जो इन्हें अगले जन्म में वेश्या न बनना पड़े। इसलिए ये रातभर नाचती हैं, ताकि अगले जन्म में इन्हें वेश्या बनने का कलंक ना झेलना पड़े।

 

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