नागरिकता संशोधन कानून (CAA) 'सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट' के खिलाफ देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन के हिंसा में तब्दील होने जाने के दौरान पुलिस कार्रवाई (Police Action) में देशभर में 20 लोग मारे गए हैं।

मारे गए लोगों में ज़्यादातर मुसलमान हैं।

caa violence

''मुसलमानों के खिलाफ है पुलिस?'' इस सवाल का जवाब यहां हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश राज्य में पुलिस अधिकारी अखिलेश नारायण सिंह ने कैमरे पर स्थानीय मुसलमानों से यह कहते हुए दिखाई दिए

कि नागरिकता संशोधन कानून का जो लोग विरोध कर रहे हैं वे 'पाकिस्तान' चले जाएं। इस बयान पर कार्रवाई करने की बजाए यूपी पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने उन्हें बचाने का काम किया।

इसके अलावा कर्नाटक के मंगलूरू में स्थानीय पुलिस ने तकरीबन 6 इस तरह की एफआईआर (FIR) दर्ज की है, जो 'अज्ञात मुस्लिम युवक' के खिलाफ है।

आपको सूचित कर दें कि पुलिस विभाग ने आरोप तय करने के लिए ''संदिग्ध'' की जगह ''मुस्लिम'' लिखा है। हालांकि अभी तक आरोपियों की पहचान नहीं की जा सकी है।

दरअसल, लोकनीति-सीएसडीएस ने दो बेहद ज़रूरी सर्वे किए हैं, स्टेट ऑफ पोलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट (SPIR) 2018 व स्टेट ऑफ पोलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट (SPIR) 2019।

स्टेट ऑफ पोलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट (SPIR) 2018 पुलिस को लेकर सामान्य लोगों की राय पर केंद्रित है और स्टेट ऑफ पोलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट (SPIR) 2019 अलग-अलग विषयों पर पुलिस के दृष्टिकोण पर केंद्रित है।

सर्वे के मुख्य तथ्य

  •  इस सर्वे में पूछे गए सवाल के मुताबिक ''क्या मुसलमानों में स्वाभाविक तौर पर अपराध करने की प्रवृत्ति होती है?'' इस सवाल के जवाब में हिंदुस्तान के आधे पुलिसकर्मी कहते हैं, 'बहुत ज़्यादा' या 'कुछ ऐसा ही'। वहीं 42 फीसदी का कहना था 'कभी-कभी' या 'कभी नहीं'।''

 

  • भीड़तंत्र के न्याय पर पूछे गए सवाल पर इस सर्वे में पुलिस के एक बड़े तबके ने भीड़ हिंसा को जायज बताया। मगर इसमें ऐसे पुलिसवालों की संख्या बहुत थोड़ी है, जो मानते हैं कि इस तरह का न्याय उचित नहीं है। वहीं, मध्यप्रदेश में 63 प्रतिशत पुलिसकर्मी कहते हैं कि गो हत्या के मामले में भीड़ हिंसा ''बहुत ज़्यादा सही'' है या ''कुछ ऐसा ही'' है।

 

  •  इस सर्वे के मुताबिक, ज्यादातर मुलसमान, सिख और हिंदू सोचते हैं कि वे पुलिस से डरे हुए हैं। वहीं, पुलिस पर सबसे कम भरोसा सिख और आदिवासियों को है

 

  • तेलंगाना के 68 फीसदी, दिल्ली के 65 फीसदी, महाराष्ट्र के 62 प्रतिशत, कर्नाटक के 60 और उत्तर प्रदेश के 59 फीसदी मुसलमानों की राय है कि पुलिस की सोच आतंक के मामलों  में उन्हें गलत तरीके से फंसाने की रहती है।

 

  • कुल मिलाकर करीब-करीब 26 प्रतिशत मुसलमान मानते हैं कि पुलिस धर्म के आधार पर भेदभाव करती है।

ऊपर बताए गए आंकड़ों के में पुलिस की अल्पसंख्यक समुदाय या हिंसा को लेकर जो मानसिकता नज़र आती है, उसका इस बात से कतई लेना-देना नहीं है कि उस राज्य में किस पार्टी की सरकार है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीएए और एनआरसी के विरोध के दौरान 25 लोग मारे गए हैं। इनमें 19 लोग उत्तर प्रदेश में कार्रवाई में मारे गए, 4 असम और 2 कर्नाटक में। इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है।


 

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