'भाई के कंधे पर मरे हुए बच्चे' की तस्वीर को जापान में माना जाता है 'हिम्मत की तस्वीर' जाने क्यों-
image that is used as a symbol of strength in Japan | वह तस्वीर जिसे जापान में 'हिम्मत की तस्वीर' कहा जाता है
Image that is used as a symbol of strength in Japan
कहते हैं कि जब दुःख तो हिम्मत रखनी चाहिए। लेकिन बहुत ही कम लोग दुःख के समय हिम्मत रख पाते हैं। भावनात्मक रूप से मजबूत कई व्यक्ति मुसीबत की घड़ी में टूट जाते हैं। दुःख सबसे ज्यादा तब होता है जब कोई अपना प्यारा इस दुनिया से चला जाता है। इस घड़ी के दौरान किसी के लिए भी हिम्मत रख पाना काफी मुश्किल हो जाता है।
आज हम आपको जापान के एक ऐसे बच्चे की जिंदगी के बारें में बताएँगे कि जिसकी हिम्मत की दाद आज पूरा जापान देता है। आइये इस मर्मस्पर्शी कहानी के बारें में विस्तार से जानते हैं।
द्वितीय विश्व युद्ध की बात है
दरअसल जापान में एक तस्वीर को 'ताकत' की तस्वीर के रूप में माना जाता है। यह तस्वीर एक छोटे बच्चे की है। इस तस्वीर को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लिया गया था। इस तस्वीर में एक बच्चे की पीठ पर एक बच्चा बंधा हुआ दिखता है।
दरअसल जो बच्चा पीठ पर बंधा हुआ है वह मर चुका है। फोटो में जो बच्चा पीठ पर बच्चे को बांधे हुए है वह मरे हुए बच्चे का बड़ा भाई है।
छोटे भाई का अंतिम संस्कार करने के लिए लाइन में खड़ा रहा बड़ा भाई
दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पूरे जापान में बम्पर तबाही हुई थी। इस दौरान सन्न 1945 में इतनी लोगों की मौत हुई कि वहां पर मरे हुए लोगों के क्रियाक्रम के लिए लोगों की लाइन लग गयी थी। शमसान पर लोग पार्थिव शरीर को लेक्रर खड़े रहते थे और जब उनका नम्बर आता था तब उनका अंतिम संस्कार किया जाता है।
एक ऐसी ही जगह पर एक बच्चा अपनी पीठ पर अपने मरे हुए छोटे भाई को लेकर खड़ा था और शमसान पर क्रिया क्रम के लिए अपनी बारी का इतंजार कर रहा था। इसी दौरान एक फोटो ग्राफर ने उसकी फोटो खींच ली।
फोटोग्राफर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया, "लड़का बहुत दुखी था। लेकिन वह रोना नहीं चाह रहा था। इसके लिए वह अपने होंठो को दांतों से दबा रहा था। वह आंसू रोकने के लिए अपने होंठो को दांतों से इतनी तेजी से दबा रहा था कि उसके मुंह के कोने से होंठ के कटने पर खून गिरने लगा।"
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जब बच्चे के मुंह से खून गिरने लगा तो वहां पर खड़े एक गार्ड ने बच्चे से लाश को उतारने के लिए कहा। गार्ड ने कहा, "तुम अपने कंधे पर जो इतना भारी बोझ लिए हुए उसे उतार दो।"
इसके जवाब में बच्चे ने कहा, "यह बोझ नहीं है, यही मेरा भाई है। यह भारी नहीं है।"
इसके बाद बच्चे ने लाश को उसके हवाले किया। और संस्कार करके वापस चला आया। पीठे में मरे हुए छोटे भाई को बांधे हुए और होंठो को दांत से दबाते हुए उसकी यह तस्वीर आज भी जापान में हिम्मत की तस्वीर मानी जाती है। इसे जापान में 'सिम्बल ऑफ़ स्ट्रेंथ' के रूप में माना जाता है।