रेलवे में कर रहे हैं सफ़र तो इन नियमों को जान लें, टेंशन फ्री रहेंगे आप
Indian railway rules for passengers in Hindi, रेलवे के नियमों के बारे में बने जागरूक और यात्रा को बनाये टेंशन फ्री
लगभग हर व्यक्ति कभी न कभी अपने जीवन में ट्रेन में सफ़र जरूर किया होगा। कुछ लोगों का ट्रेन में सफ़र करना आम होता है। लेकिन शायद ही कुछ व्यक्ति होते होंगे जिन्हें इंडियन रेलवे के कुछ नियम मालूम होते होंगे। अगर आप इन्डियन रेलवे द्वारा बनायीं गयी कुछ गाइडलाइंस को जान लेंगे तो आपका इन्डियन रेलवे में सफ़र आसान हो जायेगा।
अक्सर ऐसा देखा गया है कि लोग जल्दी में टिकट कराने से लेकर और ट्रेन में बैठने तक लगभग काफी पैसे बेवजह खर्च कर देते हैं लेकिन अगर आपको यह नियम पता रहेगा तो आप अपने पैसे भी बचा सकते है और इसके साथ ही आप अपना समय भी बचा सकते है। जानकारी ही आपको समझदार बनाती है। इस आर्टिकल में हम आपको इन्डियन रेलवे द्वारा बनायीं गयी कुछ गाइडलाइंस के बारे में बताएँगे जिसको जानने के बाद आपका इंडियन रेलवे में सफ़र काफी आरामदायक और बिना किसी परेशानी के होगा। आइये इस बारें में विस्तार से जानते है।
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इंडियन रेलवे में आर ए सी वालों को कब मिलती है रिजर्व सीट
जिन यात्रियों के नाम आरएसी के तहत आता हैं, उन्हें शुरू में रिजर्व बैठने की जगह प्रदान की जाती है और अंतिम समय में रिजर्व व्यक्ति का टिकट रद्द होने या ट्रेन के चलने से पहले रिजर्व यात्री के समय पर नहीं आने के कारण बर्थ खाली होने पर आरएसी यानी वेटिंग टिकट वाला व्यक्ति उस सीट पर बैठ सकता है। यात्रा टिकटों के अलावा टिकट जारी करते समय केवल फर्स्ट क्लास/एसी स्लीपर और सेकेण्ड क्लास स्लीपर के लिए आर.ए.सी. के लिए सीटों के लिए आरक्षण टिकट जारी किए जाते है।
इंडियन रेलवे में मिडिल बर्थ को कब खोलने का है नियम?
चूँकि इंडियन रेलवे में सामान्यतः एक तरफ तीन तरह की सीटें होती है। पहली होती है लोअर बर्थ, दूसरी होती है मिडिल बर्थ और तीसरी होती है अपर बर्थ। चूँकि जब शुरू में यात्री बैठते है तो सभी लोअर बर्थ पर एक-एक करके बैठते है। लेकिन जब सोने का समय होता है तो तीसरे नम्बर का व्यक्ति अपर बर्थ पर चला जाता है और जो व्यक्ति बीच में होता है वह मिडिल बर्थ की सीट को खोल लेता है जो पीठ एक पीछे ही लटकी होती है।
अक्सर लोग ट्रेन में चढ़ते ही मिडिल बर्थ की सीट को खोल लेते है जिससे लोअर बर्थ पर व्यक्ति को बैठने में परेशानी होती है। लेकिन रेलवे ने मिडिल बर्थ की सीट को खोलने के समय को लेकर एक समय सीमा निर्धारित किया है। रेलवे के नियम के अनुसार को भी मिडिल बर्थ वाला यात्री अपनी बर्थ को रात के 10 बजे बाद ही खोल सकता है और सुबह 10 बजे तक वह इस मिडिल बर्थ पर सो सकता है। अगर कोई रात के 10 बजे के पहले या सुबह 6 बजे के बाद भी मिडिल बर्थ की सीट को खोले रहता है तो आप आपात्ति जता सकते हो और उसे बता सकते हो कि यह इन्डियन रेलवे के नियमों के खिलाफ है।
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टीटीई कब नही चेक कर सकता है आपका टिकट
अक्सर लोग टीटीई द्वारा टिकट चेक करवाने को लेकर बहुत घबराते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसा नियम बताने जा रहे है जिसकी वजह से टीटीई को आप अपना टिकट दिखाने के लिए मना कर सकते है। इंडियन रेलवे ने ऐसा एक नियम बनाया। बस आपको इंडियन रेलवे की एक शर्त पूरी करनी चाहिए। आइये जानते है क्या है वह शर्त?
शर्त यह है कि टीटीई आपका टिकट रात 10 बजे के बाद टिकट नहीं चेक सकता है। अगर आप सो रहे है तो टीटीई जब रात को 10 बज जाए तो वह टिकट चेक करने का हकदार नहीं होगा। इंडियन रेलवे ने ऐसा नियम इसलिए बनाया है ताकि यात्रियों को रात में आराम करने में कोई परेशानी न हो। लेकिन अगर आप ट्रेन में रात के 10 बजे के बाद चढ़ें है तो टीटीई आपसे आपका पहचान पत्र और टिकट देखने के लिए कह सकता है।
2 बर्थ वाली खिड़की के बगल वाली सीट पर नहीं सो सकते हैं आप
इंडियन रेलवे में टू-टियर सिटिंग-कम-स्लीपर कोच में केवल ऊपरी बर्थ पर सोने की जगह प्रदान की जाती है। लोअर बर्थ पर बैठने के लिए सीटें रिजर्व होती है। लोअर बर्थ पर एक सीट ऊपरी बर्थ पर दिन की यात्रा करने वाले के लिए बुक होती है। ऊपरी बर्थ वाला व्यक्ति अगर रात को ऊपर सोने के लिए चला जाए तो नीचे रिजर्व में बैठा व्यक्ति उस सीट पर सो सकता है या कोई और भी व्यक्ति उस ऊपरी सीट वाले व्यक्ति की सीट पर बैठ सकता है।
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जिस व्यक्ति ने स्लीपर बर्थ की ऊपरी बर्थ की सीट रिजर्व की है, उसके सोने के दौरान कोई भी उसकी सीट पर नीचे दावा नहीं कर सकता। अगर नीचे बैठा व्यक्ति उस सीट पर सोना चाहता है और ऊपरी बर्थ वाले व्यक्ति से यह अधिकार छीनना चाहता है तो 5 या 7 रूपये टीटीई को देकर अपनी स्लीपर बुक कर सकता फिर उस सीट पर उसके अलावा कोई और नहीं बैठ सकेगा।