भारतीय इतिहास में कानून व संविधान (Indian Constitution) बनानेवालों ने कई बातों पर खास जोर दिया है। हाल ही में 17वीं लोकसभा गठन के लिए संसदीय चुनाव संपन्न हुए हैं।

इन चुनावों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ 303 सीटें जीतकर दूसरी बार सरकार बनाई है। आजाद भारत में पहला लोकसभा चुनाव वर्ष 1952 में हुआ था।

हर 5 साल बाद होता है लोकसभा चुनाव

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भारतीय संविधान में यह व्यवस्था स्पष्ट तौर पर की गई है कि लोकसभा का चुनाव हर पांच साल बाद होगा। 16वीं लोकसभा का चुनाव वर्ष 2014 में हुआ था और पिछला चुनाव 2019 में हुआ।

भारत के संविधान में यह व्याख्या इसलिए की गई है कि जनता किसी भी पार्टी को विकास करने व देश को आगे बढ़ाने के लिए पांच साल का वक्त देती है।

अगर इन पांच सालों में राजनीतिक पार्टी जनता की उम्मीदों पर खरी उतरती है तो जनता जनार्दन उसे दूसरा मौका दे सकती है।

बहुमत न होने पर चुनाव होने की संभावना

1984 के बाद वर्ष 2014 में पहला मौका ऐसा जब किसी पार्टी की पूर्ण बहुमत सरकार बनी। दरअसल, भारतीय संविधान साफ कहा गया है कि बहुमत हासिल करने वाली पार्टी देश की सत्ता पर राज करेगी।

मगर बहुमत न होने के कारण राजनीतिक पार्टियों को दूसरे दलों से हाथ मिलाकर समर्थन जुटाना पड़ता है। कई चीजों को लेकर अगर गठबंधन में शामिल पार्टियों में सहमति नहीं बनती तो सरकार गिरने की आशंका रहती है।

गठबंधन में शामिल कोई पार्टी अगर सरकार में से अपना समर्थन ले ले तो सरकार गिर जाती है और ऐसे में मध्यवधि चुनाव होते है। इसलिए बहुमत की सरकार बेहतर रहती है।

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