कोई व्यक्ति ट्रेन में बैठे और फिर वह ट्रेन के अंदर से गायब हो जाए यह हो सकता है, हो सकता है कि वह किडनैप हो गया हो, या वो कहीं गिर गया हो। लेकिन अगर किसी मृत व्यक्ति यानी कि मुर्दे को ट्रेन में रखा जाए और गंतव्य स्थान पर पहुँचने से पहले पता चले कि मुर्दा ही ट्रेन से गायब हो गया हो तो चौंकना लाजमी है। दरअसल ऐसा हुआ है। आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं। 

दरअसल एक महिला का शव मुंबई से ट्रेन के डिब्बे में ताबूत के साथ रखा गया। इसे प्रयागराज तक पहुंचना था जहाँ पर महिला के परिजन इन्तजार कर रहे थे। लेकिन जब ट्रेन प्रयागराज पहुंची को ट्रेन में ताबूत नहीं मिला। इससे रेल विभाग में हडकंप मच गया। परिजनों ने बवाल कर दिया। 

प्रतापगढ़ पट्टी का है मामला 


यह मामला प्रतापगढ़ जिले के पट्टी तहसील का है। यहाँ की निवासी बुजुर्ग महिला सरवरी बेगम का मुंबई के टाटा हॉस्पिटल में कैंसर का इलाज चल रहा था। लेकिन कुछ दिन पहले ही उनका कैंसर से देहांत हो गया। इसके बाद परिवार वालों ने शव को ताबूत में रखवा करके ट्रेन के जरिये प्रयागराज पहुंचाने का प्रबंध किया। मृत महिला के परिवार वालों ने लोकमान्य तिलक टर्मिनस से ट्रेन नम्बर 12167 में अपना टिकट स्लीपर क्लास में बुक कराया और ताबूत को गार्ड के बगल वाली एसएलआर यानी की सामान रखने वाली बोगी में रखवा दिया। मुंबई में इस ताबूत को परिवार वालों की मौजूदगी में ताबूत को बोगी में रखवाया गया था। 

प्रयागराज पहुँचने पर परिजनों को ताबूत गायब मिला 

13 सितम्बर 2021 को जब ट्रेन छिवकी स्टेशन पर पहुंची तो ताबूत गायब मिला। फिर क्या था ट्रेन महकमे में हडकंप मच गया। प्रयागराज से लेकर मुंबई तक रेल अधिकारियों के होश उड़ गए। इसके बाद मुंबई से लेकर छिवकी स्टेशन तक रेल की पटरियों की जांच के लिए आरपीएफ टीम को लगाया गया। इसके बाद जो पता चला वह चौंकाने वाला था। 

रेलवे की लापरवाही का नतीजा 

दरअसल जब आरपीएफ की टीम ने छानबीन की तो शव ताबूत सहित मध्य प्रदेश के मैहर जिले  में ट्रेन लाइन के किनारे झाड़ियों में मिला। ताबूत टूट चुका था। यहाँ तक कि शव भी क्षत-विक्षत हो गया था। हालांकि परिजनों के विरोध और निराशा व्यक्त करने के बाद ताबूत की मरम्मत करवा के शव को परिजनों को सौंपा गया। हालांकि इस वजह से महिला के अंतिम संस्कार को करने में एक दिन की देरी हो गयी। 


रेलवे का मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश 

वहीँ जब इस मामले में नार्थ रेलवे जों के सीपीआरओ डॉ शिवम् शर्मा से इस लापरवाही के बारे में पूछा गया तो पहले उन्होंने मामला दूसरे जोन का कहकर मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश की। लेकिन जब उन्हें याद दिलाया गया कि जहाँ पर ताबूत को पहुंचना था वह उन्ही का जोन था तो इसके बाद उन्होंने दलीले दी कि किसी मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति ने एसएलआर कोच की सील को खोल दिया था इसलिए मैहर के पास ताबूत छिटककर नीचे गिर गया था। हालांकि यह बात परिजनों को नहीं पची। इसे लेकर उनमे गुस्सा और दुःख था। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब किसी को माल को ट्रेन में चढ़ाया जाता है तो एसएलआर कोच को विधिवत सील किया जाता है।  

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