Pratapgarh News in Hindi: इस बार यूपी के चुनाव में सपा पार्टी की लहर महसूस की जा रही हैI भाजपा के कुतर्कों और झूठे वादों से जनता तंग आ चुकी हैंI वहीं अगर प्रतापगढ़ जिले के पट्टी तहसील की बात की जाए तो इस बार यहाँ पर भी सपा आती दिख रही है।

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुर्मी बाहुल्य क्षेत्र पट्टी में भाजपा के राजेन्द्र प्रताप सिंह 'मोती सिंह' विधायक हैं। लेकिन अबकी बार उनके यहाँ से हारने की उम्मीदें हैं। इस बार यहाँ पर सपा के प्रत्याशी राम सिंह पटेल के विधायक चुने जाने की संभावना है। गौरतलब है कि राम सिंह पटेल 2012 के विधानसभा चुनाव में  यहाँ से विधायक रह चुके हैं। आइये राम सिंह पटेल के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

राम सिंह पटेल के बारे में

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राम सिंह पटेल बाल कुमार पटेल के बेटे हैं। सामंतवाद के खिलाफ गरीबों शोषितों के हक की  लड़ाई लड़ने वाले  कुख्यात डाकू ददुआ के भतीजे है  राम सिंह पटेल। वहीं उनके पिता बाल कुमार पटेल मिर्जापुर से सपा के टिकट से सांसद रह चुके हैं। पिछले दो विधानसभा चुनावों में राम सिंह पटेल ने मोती सिंह को पट्टी विधानसभा से अच्छी खासी टक्कर दी है। 

राम सिंह पटेल की पढ़ाई-लिखाई 

Ram Singh Patel

राम सिंह पटेल ने फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज रायबरेली से एमए और 2010 में नवदेश्वर कॉलेज लॉ कॉलेज चित्रकूट लखनऊ से एलएलबी की पढ़ाई की है। राम सिंह पटेल पर कोई क्रिमिनल केस नहीं है। 

2012 के विधानसभा चुनाव में पट्टी से विधायक बने थे राम सिंह पटेल 

डाकू ददुआ के भतीजे राम सिंह पटेल 2012 के विधानसभा में चुनाव में 156 मतों से जीत हासिल करके विधायक बने थे। हालांकि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने पर राम सिंह की विधानसभा सदस्यता हाईकोर्ट के आदेश पर रद्द कर दी गयी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। इसके बाद राम सिंह पटेल ने अपना कार्यकाल पूरा किया। 

पट्टी विधानसभा से पट्टी का विधायक बनने में राम सिंह को बहुत पापड़ बेलने पड़े। यहाँ के मोती सिंह को हराने के लिए पूरी कुर्मी विरादरी को राम सिंह पटेल के समर्थन में आना पड़ा। तब जाकर वह कुल 61434 वोट पायें और उनके निकट प्रतिद्वंधी मोती सिंह को 61278 वोट मिले थे। इस तरह से वह 156 वोट से जीतकर विधायक बने थे। वहीं 2012 में कुल 190311 वोट पड़े थे। 

मोती सिंह हारने पर गए थे उच्च न्यायलय 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब मोती सिंह को राम सिंह पटेल से हार झेलनी पड़ी तो वह वोटों की गिनती में धांधली का आरोप लगाते हुए लखनऊ हाईकोर्ट में भी गए थे। उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने 9 अगस्त 2016 को आदेश देते हुए कहा था कि राम सिंह सदस्यता रद्द की जाती है और उन्हें चुनाव परिणाम के लाभ नहीं दिए जायेंगे। साथ ही उन्हें विधायक का कोई लाभ नहीं मिलेगा। 

जब यह आदेश राम सिंह के खिलाफ आया तो उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितम्बर 2016 को लखनऊ हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पट्टी विधानसभा क्षेत्र में मोती सिंह के खिलाफ वोटों की गिनती में धांधली करने का आरोप लगता रहा है। जनता उनसे खुश नहीं रहती है। जनता का कहना है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भी राम सिंह पटेल को जीत मिली थी लेकिन मोती सिंह ने अपनी पहुँच व पॉवर से चुनाव परिणाम बदल दिए। 

2022 के विधानसभा चुनाव में लोगों में चर्चा है कि इस बार राम सिंह पटेल भारी मतों से जीत हासिल करेगें। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोती सिंह पट्टी विधानसभा से 4 बार विधायक रह चुके हैं। 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्होने राम सिंह पटेल के पिता बाल कुमार पटेल को मामूली अन्तर से हराकर चुनाव जीता था। 

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पट्टी विधान सभा की सीट काफी हाई प्रोफाइल मानी जाती है। यह विधानसभा कुर्मी बाहुल्य हैं। जो भी प्रत्याशी कुर्मी वोटों को पाता है वहीं इस सीट से विधायक बनता है। 

2019 में राम सिंह पटेल और बाल कुमार पटेल कांग्रेस में हो गए थे शामिल

आपकी जानकारी के लिए बता दें 2019 विधानसभा चुनाव में बाल कुमार पटेल और उनके बेटे राम सिंह पटेल सपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस ने बांदा से बाल कुमार को सांसद का टिकट दिया था। हालंकि साल भर भी न हुआ था दोनो बाप बेटे का कांग्रेस में मोह भंग हो गया, और दोनो ने कांग्रेस छोड़ सपा का दामन फिर से थाम लिया।

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