Best Month For Baby Birth In India in Hindi 2022

बच्चे पैदा करने के लिए लोग हर चीजों को एक दम परफेक्ट रखना चाहते हैं।  सेहत और बच्चे के जन्म को लेकर सभी तैयारियां लगभग हर एक दंपत्ति करता है। वहीँ कुछ लोग डॉक्टरों से यह भी जानना चाहते हैं कि साल में किससमय बच्चे का पैदा होना सबसे उपयुक्त होता है ताकि उसी हिसाब से गर्भधारण किया जाए और बच्चे के जन्म को उसके लिय उपयुक्त मौसम में संभव बनाया जाए। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बतायेंगे कि डॉक्टर किस महीने में गर्भधारण को ज्यादा वरीयता देते हैं। आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं। 

गर्भधारण के लिए सबसे उपयुक्त महीना कौन सा होता है? (Which month is best for birth in India?)

वैसे तो गर्भधारण के लिए ऐसा कोई सबसे अच्छा महीना निर्धारित नहीं किया गया है लेकिन बात जब गर्भधारण करने के लिए सबसे उपयुक्त महीने की आती है तो यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि दंपति कब बच्चा पैदा करने का फैसला करता है। दंपत्ति अक्सर अपने बच्चे को खुशनुमा मौसम में पैदा करना ज्यादा पसंद करते हैं। इसी के अनुसार दंपत्ति गर्भधारण की योजना बनाते हैं। 

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क्या कोई ऐसा ख़ास महीना है जिसमे डॉक्टरों के अनुसार बच्चे की डिलीवरी ज्यादा अच्छी मानी जाती है?

भारत में हेल्थकेयर का बुनियादी ढांचा ऐसा है कि यहाँ पर चाहे जिस मौसम में बच्चे का जन्म किया जाए हर मौसम उपयुक्त होता है। ऐसा देखा गया है कि सुहावने मौसम के कारण लोग अक्टूबर से लेकर फरवरी के महीने तक के समय को बच्चे की डिलीवरी के लिए ज्यादा वरीयता देते हैं। मौसम के हिसाब से यह समय डिलीवरी के लिए उपयुक्त भी हो सकता है। 
 

क्या किसी ख़ास महीने में बच्चे की डिलीवरी होने पर कोई विशेष समस्या होती है? अगर हाँ तो इस दौरान किस प्रकार की सावधानी बरतनी चाहिए?

मौसमी बीमारियों की चपेट में आने पर गर्भवती महिला का स्वास्थ्य मौसम के कारण ख़राब होता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि महिलाएं उस मौसम में बच्चे पैदा करने की योजना न बनाये जिस मौसम में मौसमी बीमारियाँ ज्यादा होती है। अक्सर जुलाई से लेकर सितम्बर तक के समय को मौसमी बीमारियों के लिए सबसे खतरनाक महीना माना जाता है। इसलिए अगर आप गर्भधारण की योजना बना रही है तो उस समय गर्भधारण करें कि बच्चा जुलाई से लेकर सितमबर के बीच में न पैदा हो। 

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अगर गर्भवती महिलाएं इस मौसम में बच्चे पैदा करने का विकल्प चुनती है तो उन्हें संक्रमण से बचने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए। उन्हें खुद की अच्छी साफ़-सफाई रखनी चाहिए। अपने कमरों में मच्छरों और कीटों को मारने के लिए दवाइया और रिप्लिकेंट रखना चाहिए। डेंगू और मलेरिया के मौसम में पूरी बाजू के कपड़े पहनना चाहिए और निवारक टीकाकरण लगवाना चाहिए। अगर महिला को संक्रमण हो जाता है, उन्हें जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए?

गर्भवती महिला को शराब पीने से बचना चाहिए। शराब का सेवन अजन्मे बच्चे के लिए हेरोइन, कोकीन या मारिजुआना से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा धूम्रपान करने वाली मां से निकोटिन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कई अन्य पदार्थ भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि गर्भवती महिला शराब और धूम्रपान से दूर रहे। ऐसी महिलाओं को धूम्रपान करने वाले लोगों से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए, फिर चाहे ये लोग सहकर्मी हों, दोस्त हों, परिवार के सदस्य हों या पब्लिक प्लेस में कोई अजनबी हों। 

गर्भावस्था के दौरान कैफीन का सेवन भी कम या खत्म कर देना चाहिए, इस दौरान बहुत ही कम कॉफ़ी पीनी चाहिए। कई स्टडी में पाया गया है कि 2 से 3 कप से ज्यादा कॉफ़ी के सेवन से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। 


बच्चे की डिलीवरी के बाद 

डिलीवरी (प्रसव) के बाद के पहले कुछ हफ्ते एक नई माँ के लिए जितना संभव हो उतना आराम करना बहुत जरूरी होता है। जब बच्चा सो रहा हो तो आप भी सोने की कोशिश करें। आराम करने से आप जल्दी ठीक होंगी। जब आप ठीक हो रहे हों, तो आपको अपने बच्चे से ज्यादा भारी वजन उठाने से बचना चाहिए। प्रसव के बाद स्वच्छता बनाए रखना भी बहुत महत्वपूर्ण है। शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने बच्चे का डायपर बदलने और अपने शिशु को दूध पिलाने से पहले अपने हाथ धो लेंना चाहिए। 

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प्रसव के बाद पहले हफ्ते के दौरान सीढ़ियां चढ़ने से बचना चाहिए। जब आप इलाज करा रहे हों, तो सीढ़ियों के ऊपर और नीचे बहुत कम आना-जाना चाहिए। जो महिलाएं जन्म देने के बाद फिटनेस रूटीन शुरू करने की योजना बनाती हैं, उन्हें पहले अपने डॉक्टर से कंसल्ट कर लेना चाहिए।

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