लड़कियों की शिक्षा के लिए नोबेल पुरूस्कार जीत चुकी मलाल युसूफजई की कहानी लड़कियों के लिए प्रेरणा भरी रही है। मलाला ने लड़कियों की शिक्षा की हिमायत के लिए तालिबान की गोली खाई थी। अपनी जिंदगी पर मलाला युसूफजई ने एक किताब लिखी है। इस किताब को आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं। मलाला की इस किताब को आप यहाँ से मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं। 

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इस किताब को क्रिस्टीना लैम्ब ने लिखा है और मलाला ने उन्हें अपनी पूरी जीवन कहानी इस किताब में बताई है। यह किताब लन्दन से प्रकाशित हुई थी। बाजार में इस किताब की कीमत हार्ड कवर में करीब 784 रूपये है। पेपरबैक में इस किताब को आप भारत में 246 रूपये में खरीद सकते हैं। 

I AM MALALA - The Girl Who Stood Up for Education and was Shot by the Taliban किताब के बारे में 

इस किताब में 24 चैप्टर हैं। पहले चैप्टर में मलाला के जन्म के बारे में बताया गया है। दूसरे चैप्टर में उनके पिता और परिवार के बारे में बताया गया है। तीसरे चैप्टर में उनके स्कूल की पढ़ाई के बारे में बताया गया है। चौथे चैप्टर में उनके गाँव के बारे में बताया गया है। पांचवें चैप्टर में यह बताया गया है कि मलाला अपने कानो में झुमके या अन्य गहने क्यों नहीं पहनती है। 


पांचवें चैप्टर में जहाँ मलाला रहती है वहां के बच्चों की स्थिति के बारे में बताया गया है। सातवें चैप्टर में उस व्यक्ति के बारे में बताया गया है जिसने मलाला के स्कूल को बंद करने की कोशिश की थी।  आंठवें चैप्टर में वहां पर आने वाले भूकंप और उससे उपजी मुसीबत के बारे में बताया गया है। 


नौवें चैप्टर में वहां पर चलने वाले 'रेडियो मोहल्ला' के बारे में बताया गया है। इसी तरह से किताब में 24 चैप्टर में मलाला के पूरे जीवन के बारे में बताया गया है। इस किताब में 195 पेज है। 


I AM MALALA - The Girl Who Stood Up for Education and was Shot by the Taliban किताब को फ्री में पीडीऍफ़ में डाउनलोड करें। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप किताब को डाउनलोड कर सकते है। 

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मलाला युसूफजई के बारे में 


मलाला यूसुफजई का जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान में हुआ था। मलाला महिला शिक्षा के लिए नोबेल शांति पुरस्कार जीत चुकी है। वह दुनिया की सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता और नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली दूसरी पाकिस्तानी भी हैं। वह मानवाधिकारों की वकालत के लिए जानी जाती हैं, विशेष रूप से उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में अपनी मूल स्वात घाटी में महिलाओं और बच्चों की शिक्षा के लिए वह प्रदर्शन करती थी। स्वात घाटी में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने कई बार लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। मलाल के इस वकालत ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। 

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