मोदी सरकार ने हाल ही में धार्मिक यातनाओं के शिकार शर्णार्थियों को नागरिकता देने के लिए 'नागरिकता संशोधन कानून' (Citizen Amendment Act) बनाया है, जिस पर लगातार विरोध हो रहा है।

सीएए समेत लोग एनआरसी का पुरज़ोर विरोध कर रहे हैं। यहां उन झूठों का तथ्यों के साथ खुलासा किया गया है, जो मोदी सरकार ने देशवासियों से बोले हैं।

पहला झूठ- नए नागरिकता कानून बनाते वक्त किसी भी धर्म विशेष के लोगों के साथ भेदभाव नहीं किया गया।

धार्मिक तौर पर सताए लोगों को पनाह देना भारत की संस्कृति रही है। इससे किसी भी भारतीय पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा।

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सच- धार्मिक आधार पर कानून बनाना भारतीय संविधान पर हमला है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 14 मुताबिक,

सरकार कानून बनाते वक्त किसी भी धर्म के व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं कर सकती है। कानून की निगाह में सब बराबर है।


दूसरा झूठ- नागरिकता संशोधन कानून का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है। ये दोनों अलग हैं और विपक्ष इन्हें आपस में जोड़कर का भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा है।

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सच- इस झूठ का सच यह है कि केंद्र की मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून लागू करके पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छःधर्मों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई) के लोगों को नागरिकता देगी, जिसमें मुस्लिम को शामिल नहीं किया गया है।

फिर एनआरसी होगा, जिसमें घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकाला जाएगा। 

यानि मतलब यह हुआ कि छः धर्मों के लोगों को घुसपैठिया होने के बावजूद नागरिकता मिलकर उनका नाम एनआरसी में आ जाएगा और

जिन लोगों के पास कागज़ात नहीं होंगे, उन्हें घुसपैठिया करार दे दिया जाएगा। इस तरीके से आप समझ सकते हैं कि सीएए और एनआरसी में संबंध हैं।

लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अप्रैल 2019 में दिए गए अपने बयान में कहा था,

''पहले CAB (अब CAA) आएगा, जिसमें सभी शर्णार्थियों को नागरिकता मिलेगी। फिर एनआरसी (NRC) होगा, इसलिए शर्णार्थियों को चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं, लेकिन घुसपैठियों चिंतित होने की ज़रूर ज़रूरत है।

क्रोनोलॉजी को समझिए- कैब CAB आएगा फिर उसके बाद एनआरसी (NRC) आएगा और एनआरसी सिर्फ बंगाल के लिए नहीं होगा, पूरे देश के लिए होगा।''

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इसके बाद 09 दिसंबर 2019 को गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था, सीएए (CAA) आने के बाद देशभर में एनआरसी (NRC) होगा। किसी भी घुसपैठियां को नहीं छोड़ा जाएगा।

इसके अलावा भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 19 दिसंबर 2019 को कहा था, ''नागरिकता कानून (CAA) को लागू किया जाएगा और उसके बाद एनआरसी (NRC) आएगा।

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तीसरा झूठ- 22 दिसंबर को दिल्ली में हुई रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ''130 करोड़ देशवासियों को भरोसा दिलाना चाहता हूं

कि जब से मेरी सरकार सत्ता में आई तब से एनआरसी (NRC) को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है।

सच- 20 जून 2019 को ससंद के ज्वाइंट सेशन के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने भाषण में कहा था,

''अवैध तरीके से भारत में दाखिल हुए विदेशी, आंतरिक सुरक्षा के लि बहुत बड़ा खतरा है। मेरी सरकार ने तय किया है कि

घुसपैठ की समस्या से जूझ रहे क्षेत्रों में 'नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स' (NRC) की प्रक्रिया को प्राथमिकता के आधार पर अमल में लाया जाएगा।''

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21 नवंबर 2019 को गृहमंत्री अमितशाह ने राज्यसभा में कहा था, ''एनआरसी (NRC) की प्रक्रिया पूरे देश में होगी।

इसके अलावा मोदी सरकार के 9 मंत्रियों ने आधिकारिक तौर पर (NRC) लागू करने की बात की है।

चौथा झूठ- पीएम मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में 22 दिसंबर को हुई रैली में कहा था, ''देश में कहीं भी 'डिटेंशन सेंटर' नहीं हैं।''

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सच- 11 दिसंबर 2019 को गृह राज्य मंत्री ने एक सवाल के जवाब में राज्यसभा में कहा था, ''सभी राज्यों को 'डिटेंशन सेंटर' बनाने के आदेश दे दिए गए हैं।''

इसके अलावा केंद्र सरकार ने अप्रैल और सिंतबर 2014 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 'डिटेंशन सेंटर' के निर्माण लिए कहा था।

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने 28 नवंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट में कहा था,

''हमने 2014 के अलावा 2018 में सभी राज्यों को 'डिटेशन  सेंटर' बनाने के लिए निर्देश दिया है, जिसमें घुसपैठियों को रखा जाएगा।''

नवंबर 2019 में ही मोदी सरकार में गृह राज्यमंत्री ने राज्यसभा में 'डिटेंशन सेंटर' में हुई मौतों स्वीकार करते हुए कहा था,

''असम के 'डिटेंशन सेंटर' में अबतक 28 लोगों की मौत हो चुकी है और असम के ही 6 'डिटेंशन सेंटरों' में 988 विदेशियों को रखा गया है।
 

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