दरअसल, तमिलनाडु सरकार ने इस  110 करोड़ के घोटाले का खुलासा किया है। कहा जा रहा है कि सूबे के कुछ जिलों में अयोग्य लोगों द्वारा सरकारी अधिकारियों 

और स्थानीय स्तर के नेताओं की मदद से झूठी जनकारी का इस्तेमाल करते हुए योजना के तहत मिलने वाली नकद सहायता का लाभ उठाया है।

कैसे हुआ खुलासा

दरअसल, कुड्डालोर जिले के कलेक्टर ने पाया कि 100 से ज्यादा गैर-किसानों की पीएम-किसान सहायता से राशि मिली। 

कलेक्टर ने इसे लेकर जांच के आदेश दिए हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक, पीएम किसान योजना के लिए पंजीकृत लाभार्थियों में से कई लोग घोटाले से अनजान बताए जा रहे है।

वहीं, इसके अलावा घोटाला करने वाले अधिकारियों का विवरण मांगते हुए जांच एजेंसियों ने उन्हें पेश होने के आदेश दिए हैं।

बताया जा रहा है कि किसानों से कहा गया कि अब उन्हें सरकार से कोरोना कैश तभी मिल सकता है जब इनका विवरण पात्र किसान पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।

जिस पर अधिकारियों ने पाया कि हर अयोग्य लाभार्थी से लगभग 6000 रूपये लिए।

विपक्ष हमलावर

इस मामले पर विपक्षी डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने आरोप लगाते हुए बयान दिया कि यह घोटाला बहुत बड़ा है और कई करोड़ का है।

उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि राज्य के सीएम पलानीस्वामी के गृह जिले सलेम में अकेले ही करीब 10,700 फर्जी किसान मौजूद है जो पीएम किसान योजना के तहत करीब 4 करोड़ रूपये का लाभ ले चुके हैं।

स्टालिन ने बताया कि कुड्डलोर जिले और विल्लुपुरम जिले में कई फर्जी किसानों से इस योजना के तहत 4.20 करोड़ की वसूली की गई थी।

आगे उन्होंने कहा कि इस घोटाले को लेकर तिरुवन्नामलाई, पेरम्बलुर और अन्य जिलों से भी शिकायतें सामने आ रही हैं।

सरकार ने दिया जवाब

तमिलनाडु सरकार ने इस मामले पर जवाब देते हुए कहा कि प्रकाश में आए घोटाले की जांच अपराध शाखा - अपराध जांच विभाग (सीबी- सीआईडी) को दी गई है।

जो लगातार इस मामले की जांच कर रही है और अबतक इस मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

इस मामले पर प्रदेश के सीएम पलानीस्वामी ने कहा है कि घोटाले में लिप्त में सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

वहीं, राज्य के कृषि सचिव ने बताया कि सरकार ने अबतक आरोपियों के खातों से 32 करोड़ की राशि प्राप्त की है।

 

You Might Also Like