गर्भवती महिलाओं के लिए योग आसन- Best Yoga Poses For Pregnant Women
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किसी भी औरत की ज़िन्दगी में माँ बनना सबसे खूबसूरत लम्हा होता है। दुनिया की हर औरत ज़िन्दगी में कभी न कभी बच्चा जरूर चाहती हैं। ऐसा कहा जाता है कि औरत तब तक पूरी औरत नहीं होती है जब तक वह अपने गर्भ से किसी बच्चे को जन्म न दे ले। वैसे तो आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्वस्थ गर्भवस्था धारण करना बहुत मुश्किल हो गया है। कई महिलाएं अपनी प्रेगनेंसी को बहुत अच्छे से प्लान करती हैं। फिर इसके अनुसार बच्चे पैदा करने की योजना बनाती हैं।
Yoga Poses for Pregnant Women
वहीं अगर आप या आपके परिवार में कोई महिला गर्भवती है या गर्भ धारण की योजना बना रही है तो आज हम आपको योग और गर्भावस्था को लेकर कुछ टिप्स बताएँगे जिससे महिला को स्वस्थ बच्चा पाने में मदद मिलेगी। यह सभी जानते हैं योग का हमारे मन और तन पर बहुत लाभ होता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताएँगे कि कैसे और किन योग के आसनों (Yoga for Pregnant Ladies Benefits) को करने से गर्भवती माँ और उसका बच्चा स्वस्थ और तंदुरुस्त रह सकता है साथ बच्चे के जन्म के बाद उनमे होने वाली किसी भी समस्या को योग के जरिये ख़त्म किया जा सकता है। आइये इस बारें में विस्तार से जानते हैं।
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गर्भावस्था के दौरान महिला कई सारे भावनाओ से गुज़र रही होती है। उसे इस दौरान ख़ुशी, उत्साह और बेचैनी एक साथ हो सकती है। इन सभी भावनाओं को महिलाएं एक साथ महसूस करती हैं। इस दौरान महिलाओं में मूड स्विंग भी होता है क्योंकि उनके शरीर में हार्मोन में बदलाव होता रहता है। शरीर में बदलाव होने की वजह से महिला को थकान और बेचैनी होती रहती है।
यहां हम गर्भावस्था के लिए 5 योग के आसनो (Yoga Exercise for Pregnant Ladies) के बारें पढेंगे जो गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बेहतरीन लाभ प्रदान कर सकते हैं। इन योग के आसनों को करने से पहले गर्भवती महिलाओं के लिए यह याद रखना जरूरी है कि उन्हें उन आसनों को नही करना चाहिए जिनमे उन्हें पेट के बल लेटना पड़े। इसके अलावा उल्टे और आगे झुकने वाले आसनों को भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से पेट पर दबाव पड़ सकता हैं और इससे बच्चे को नुकसान पहुँच सकता है। इसलिए जरूरी है कि किसी योग्य और ट्रेंड योग शिक्षक के मार्गदर्शन में इन योग के आसनों को किया जाए।
शवासन
यह योग के सबसे आसान आसनों में से एक है। इस आसन को शारीरिक रूप से करना बहुत आसान है। इस आसन को करने के लिए आप पीठ के बल लेट जाएँ। शरीर को पूरी तरह से रिलैक्स करें और हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए हाथों को बगल में रखें। सांस और शरीर पर ध्यान लाते हुए धीरे-धीरे सांस लेते रहें। सभी विचारों और जल्दबादी की भावना को छोड़ दें और केवल सांस पर ध्यान केंद्रित करें। इस स्थिति में 10 मिनट तक रहें। इस आसन को करने से गहरी और मेडिटेशन की स्थिति में आने का मौका मिलता है। इससे तनाव से राहत देने वाले ऊतकों और कोशिकाओं की मरम्मत में मदद मिलती है। ब्लड प्रेशर, अनिद्रा और चिंता को कम करने के लिए इस आसन को किया जाना चाहिए।
विपरीता करणी
इस आसन को करने के लिए आपको दीवार के करीब बैठना है ताकि कूल्हे दीवार के नज़दीक हो। अब पैरों को धीरे-धीरे दीवार के ऊपर उठाते हुए पीठ के बल लेट जाना है। एड़ियों को दीवार पर टिकाते हुए बाजुओं को दोनों तरफ फैलाना हिया। इस स्थिति में कुछ मिनट के लिए आराम से रहने के बाद धीरे से सांस लेते हुए रिलैक्स करना है। फिर आराम से सांस छोड़ते हुए पहले जैसी स्थिति में वापस आ जाना है। इस आसन को करने से खून और लिम्फ सर्कुकेल्शन बढ़िया रहता है। इससे पीठ दर्द, अनिद्रा, पाचन और थायराइड के काम को सुचारू रूप से चलाये रहने में मदद मिलती है।
कोणासन
कोणासन करने के लिए आपको तड़ासन मुद्रा में आकर में भुजाओं और पैरों को थोड़ा चौड़ा करके खड़े हो जाना है। सांस अंदर लेते हुए हाथों को सिर के ऊपर उठाना है और अंगुलियों को आपस में मिलाना है। सांस छोड़ते हुए कोहनियों को सीधा रखते हुए दाहिनी ओर झुकाना है और पैरों को मजबूती से नीचे लगाये रखना है। शरीर को आरामदायक स्थिति में रखते हुए कुछ देर सांसें लेना है और स्ट्रेच करना है। इसके बाद धीरे-धीरे पहले वाली स्थिति में वापस आ जाना है। अब बायीं तरह भी हाथ ऊपर करके इसी तरह से उस प्रक्रिया को करना है। इस आसन को करने से पीठ दर्द कम होता है, लचीलापन बढ़ता है और रीढ़ स्ट्रेच होती है।
मलासन
यह आसन जिस तरह से बैठ कर मल त्याग किया जाता है उसी तरह से होता है। इसीलिए इसका नाम मलासन है। इस आसन को करने के लिए पैरों को चौड़ा करके स्क्वाट पोजीशन में आएं। धीरे-धीरे पैरों को जितना हो सके कूल्हे के पास ले आएं। घुटनों के बीच की चौड़ाई कंधों के बीच की चौड़ाई से ज्यादा चौड़ी होनी चाहिए। अंजलि मुद्रा में भुजाओं को सामने लाएं। आपके कंधे रिलैक्स होने चाहिए और रीढ़ सीधी होनी चाहिए। 5 सांसों तक इसी स्थिति में रहें और धीरे से पहले वाली मुद्रा से वापस आ जाएं। इस आसन को करने से कमर और कूल्हे खुल जाते है। यह पेल्विस को भी चौड़ा करता है। इससे प्रसव के दौरान महिलाओं को मदद मिलती है।
वीरभद्रासन
इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े होकर पैरों को 3 से 4 फीट की दूरी पर इस तरह फैलाना है कि बायां पैर दाहिने पैर के पीछे हो। दाएं पैर को 90 डिग्री और बाएं पैर को 15 डिग्री घुमाएं। बाजुओं को साइड में उठाएं ताकि वे कंधों की सीध में हों और बाहें जमीन के समानांतर हों। साँस छोड़ते हुए दाहिने घुटने को मोड़ें और अपनी निगाह को दाईं ओर मोड़ें। धीरे से पेल्विस को नीचे की ओर धकेलें और कुछ देर सांस लेने तक इसी स्थिति में रहे। सांस लेते हुए हाथों को बगल की तरफ लाते हुए धीरे से ऊपर आएं। दूसरी तरह भी इसी प्रक्रिया को दोहराएँ। यह कंधों से स्ट्रेस को रिलीज करता है और मन और शरीर को आराम देता है। यह पीठ के निचले हिस्से, पैरों और बाहों को मजबूत करने के लिए भी एक बेहतरीन योग आसन है।