नार्मल डिलीवरी से बच्चे को जन्म देने के लिए 10 टिप्स
नार्मल डिलीवरी से बच्चे को जन्म देने के लिए कुछ टिप्स (how to give birth of children without cesarian surgery or operation in Hindi), pregnancy tips for women in Hindi
नार्मल डिलीवरी से बच्चे को जन्म देने के लिए कुछ टिप्स (how to give birth of a children wihtout ceserian surgery or opreation in Hindi)
आज के समय में ऐसा देखा गया है कि अक्सर महिलाएं अपना पहला बच्चा जब जन्मती है तो वह सीजेरियन डिलीवरी के जरिये जन्म देती है। अक्सर डॉक्टर वगैरह भी हॉस्पिटल में ही प्रसव कराने की सलाह देते हैं। लोगों के मन में यह बैठ गया है कि अगर महिला हॉस्पिटल गयी तो उसका ऑपरेशन के जरिये प्रसव होगा। लेकिन अगर आपकी हालत ठीक है तो डॉक्टर बिना ऑपरेशन के भी बच्चे पैदा करने में मदद कर सकते हैं।
हालांकि कई डॉक्टर बेवजह महिला में ऑपरेशन करके बच्चे करते हैं ऐसा वे अपना बिल बनाने के लिए करते हैं लेकिन अगर आप नार्मल डिलीवरी के बारे जागरूक रहेंगे तो आप डॉक्टर को नार्मल डिलीवरी करने के बारे में सलाह दे सकते है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप नार्मल डिलीवरी के सभी पह्लुयों के बारे में अच्छे से जाने।
बच्चों की नार्मल डिलीवरी के लिए महिलाओं को क्या करना चाहिए? (What should pregnant women do for normal delivery)
वजाइनल (योनि) डिलीवरी होने से मां और बच्चे दोनों को कई तरह से फायदा होता है। अगर महिला नार्मल डिलीवरी से बच्चे को जन्म देती है तो वह प्रसव के दर्द से जल्दी से ठीक हो सकती है। जल्दी से ठीक होने पर वह अपने बच्चों की देखभाल जल्दी कर सकती है। नार्मल डिलीवरी में जब बच्चा बर्थ कनाल को पार करता है, वह सहायक बैक्टीरिया को ग्रहण करता है जो उसे बाद के जीवन में उसे विकासशील बीमारियों से बचाता हैं।
बिना ऑपरेशन के बच्चे पैदा करने के लिए आपको गर्भधारण करने से पहले से लेकर बच्चे पैदा करने तक के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। लेबर (प्रसव) एक लंबी और मुश्किल प्रक्रिया होती है, लेकिन अगर शरीर और दिमाग इसके लिए तैयार है, तो वजाइनल बर्थ (योनि जन्म) एक तनावपूर्ण और दर्दनाक अनुभव नहीं होगा। इसके लिए 10 टिप्स बताये गए हैं जिसकी मदद से आप बिना ऑपरेशन के बच्चे पैदा कर सकते हैं।
नार्मल डिलीवरी से बच्चे को जन्म देने के लिए 10 टिप्स (10 tips of normal delivery of pregnant women)
1- आपको बच्चे के जन्म से पहले अपनी सभी डॉक्टरी विजिट और जांच समयानुसार पूरी कर लेनी चाहिए।
2- गर्भधारण के समय ही तैयारी शुरू करें। गर्भधारण से 3 से 6 महीने पहले दोनों पति-पत्नी स्वस्थ खानपान की आदत डालनी चहिये। बच्चा चाहने वाले दंपत्ति को सभी पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ खाना चाहिए। आप कितना पोषक तत्व ग्रहण कर रहे हैं और आपको कितने पोषक तत्वों की जरुरत है, इसके लिए आप जांच करवाना चाहिए। गर्भधारण से तीन महीने पहले महिलाएं मल्टीविटामिन और फोलिक एसिड सप्लीमेंट का सेवन करना चाहिए। पुरुषों को भी जिस मल्टीविटामिन सप्लीमेंट में जिंक की मात्रा ज्यादा हो उसे लेना चाहिए।
3- गर्भावस्था के दौरान नियमित एक्सरसाइज करनी चाहिए। कोई भी एक्सरसाइज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से जांच करा लेनी चाहिए। चलना बहुत ही आसान एक्सरसाइज है।
4- गर्भावस्था के दौरान भी स्वस्थ खानपान का पालन करना चाहिए। एक फिट शरीर लेबर की मुश्किलों को और ज्यादा आसानी से संभालने में सक्षम होता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान भी फिट रहने की कोशिश करनी चाहिए।
5- रिलैक्सेशन (आराम) और मेडिटेशन (ध्यान) न केवल आपको गर्भावस्था के दौरान शांत रहने में मदद करेगा बल्कि प्रसव के दौरान दर्द को कम करने का एक बेहतरीन साधन भी प्रदान कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान अपने जीवनसाथी के साथ विभिन्न रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करना चाहिए।
6- बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया के लिए भ्रूण की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। अगर बच्चा गलत स्थिति में है तो योनि से जन्म देना मुश्किल या असंभव हो सकता है। अपने बच्चे की स्थिति के प्रति सतर्क और जागरूक रहें। आपका बच्चा लगभग 32वें सप्ताह तक सिर के नीचे की स्थिति में होना चाहिए। अगर बच्चा सही स्थिति में नहीं है, तो आपको कुछ ऑप्टिमम भ्रूण स्थिति सेशन करने की जरुरत पड़ सकती है।
7- अगर आप दर्द को लेकर सहज हैं, तो पेन किलर दवाओं को न खाएं। इन दवाओं के खाने से आप बिस्तर पर पड़े रह सकते हैं और आप चलने फिरने में सहज नहीं महसूस कर सकते हैं। पेन किलर दवाओं के बजाय पेन मैनेजमेंट (दर्द प्रबंधन) के लिए अपनी प्रसवपूर्व कक्षाओं में सीखी गई रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करें।
8- ज्यादा जानकारी इकठ्ठा न करें। आपके पास सही जानकारी होनी चाहिए, लेकिन जानकारी बहुत ही सीमित होनी चाहिए। अपने प्रश्नों के बारे में अपने डॉक्टर या अपने प्रसवपूर्व कोच से बातचीत करें। अच्छी प्रसवपूर्व कक्षा आपको बेहतर जानकारी और प्रश्नों के समाधान में मदद करेगी।
9- प्रसव के दौरान शारीरिक रूप सक्रिय रहें। टहलें और घूमें और जितना संभव हो उतना लंबे समय तक एक सीधी स्थिति में रहने की कोशिश करें।
10- गर्भावस्था के दौरान सोच सकारात्मक रखें। सकारात्मक सोच बहुत महत्वपूर्ण होती है। नकारात्मक विचार वजाइनल बर्थ (योनि जन्म) की आपकी योजनाओं में बाधा डालेंगे। सकारात्मक रहना और अपने आस-पास ऐसे लोगों के साथ रहना जो आपको उत्साहित और खुश रहने में मदद करता हैं जो अंततः नार्मल डिलीवरी में आपकी मदद करेगा।
गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ वजन बनाए रखें और एक्सरसाइज रोज करें
बिनी ऑपरेशन के डिलीवरी के लिए महत्वपूर्ण टिप्स यह है कि आप अपनी गर्भावस्था के दौरान ज्यादा वजन न बढ़ने दें।
लोग यह मानते हैं कि 'आपके अंदर एक जान पल रही है इसलिए आपको ज्यादा खाना है," आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह सिर्फ एक मिथक है, वैज्ञानिक रूप से यह सही नही होता है।
गर्भावस्था के दौरान ज्यादा भोजन करने से थायराइड और डायबिटीज की समस्या हो सकती है जो आगे चलकर बिना ऑपरेशन की बच्चे की डिलीवरी में समस्या पैदा कर सकती है।
आमतौर पर हर दिन 200-300 KCal का भोजन ग्रहण करना चाहिए।
गर्भवती महिला गर्भावस्था के दौरान हर दिन कसरत करना न भूलें। हर दिन महिला 10 से 15 मिनट की सैर करना शुरू कर सकती हैं और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 40 मिनट प्रतिदिन करने की कोशिश वे कर सकती है।
कसरत आपको उस ताकत का बनाने में मदद करता है जो गर्भावस्था के दौरान लेबर से गुजरने के लिए जरुरी होती है।
गर्भावस्था के दौरान सही वजन बनाये रखना बहुत जरूरी है।
नार्मल डिलीवरी के लिए क्या खाना चाहिए?
- कई महिलाएं पहली तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस से जूझती हैं और वे बहुत कम खाना खाने में सक्षम हो पाती हैं।
- बहुत ज्यादा मतली आने के कारण पहली तिमाही में कम खाना खाना आम बात होती है और कई महिलाओं में इस दौरान वजन भी कम हो सकता है।
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- अगर आपका भोजन की तरफ देखना भी मुश्किल होता है तो बिना मसाले वाली चीजों को खाएं। नींबू चूसें क्योंकि इससे मतली को कम करने में मदद मिलेगी।
- जैसे-जैसे दूसरी तिमाही आगे बढ़ेगी और आपकी भूख धीरे-धीरे वापस आती जायेगी, तब भूख इतनी बढ़ जाती है कि महिलाओं को सोचना पड़ता है कि क्या खाया जाए।
- आपके आधे भोजन में फल और सब्जियां होनी चाहिए, जबकि बाकी में लीन प्रोटीन (दाल, दूध, पनीर, आदि) और साबुत अनाज शामिल होना चाहिए।
- हर 3 से 4 घंटे में थोड़ा-थोड़ा भोजन करें और अपने आप को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखें। इस बात का ध्यान रखें कि गर्भावस्था के दौरान किसी भी वक़्त का भोजन न छोड़ें।