क्या आप खर्राटों की समस्या से परेशान है? अगर हाँ, तो आज हम आपको इस समस्या से निपटने के लिए कुछ टिप्स बताएँगे जिसकी मदद से आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं। यह टिप्स नेचुरोपैथी टिप्स होगी। जिन लोगों में खर्राटे आते हैं वे अक्सर इस समस्या पर कभी ध्यान नहीं देते हैं। इसके लिए साथ में सोने वाले या घर के अन्य सदस्यों को इस पर ध्यान देने की जरुरत होती है। अगर नीच बताई गयी टिप्स रोजाना आजमाई जाएं तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

खर्राटे दूसरे व्यक्तियों के लिए झल्लाहट और चिड़चिड़े वाले हो सकते है, खासकर उनके लिए जो खर्राटे लेने वाले के साथ सोते हैं। नेशनल स्लीप फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक हर रात तीन में से एक पुरुष और चार महिलाएं खर्राटे लेती हैं। हालांकि खर्राटों को अक्सर एक छोटी सी समस्या समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। खर्राटों का आना कई अन्य कारणों की वजह से हो सकता है, इसलिए इन कारणों से तुरंत निपटने की आवश्यकता है। 

मोटापा या ज्यादा वजन होना खर्राटों के प्रमुख कारणों में से एक है। बराबर सांस न ले पाने के साथ खर्राटे लेना हार्ट की बीमारी होने का खतरा पैदा करते हैं। स्लीप एपनिया से भी खर्राटें की संभावना बढ़ जाती है। स्लीप एपनिया एक स्लीप डिसऑर्डर है जिसमें सांस बार-बार रुकती है और फिर से शुरू हो जाती है। हालांकि ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाओं का उपयोग किए बिना स्वाभाविक रूप से खर्राटों का इलाज करने के लिए बहुत सारे उपचार उपलब्ध हैं।

सोने की मुद्रा

 
खर्राटे तब बढ़ जाते जाते हैं जब व्यक्ति पीठ के बल या गलत मुद्रा में होकर सोते हैं। जब कोई पीठ के बल लेट कर सोता है, तो वायुमार्ग के आसपास के टिश्यू को गुरुत्वाकर्षण द्वारा नीचे खींच लिया जाता है, जिससे वायुमार्ग संकरा हो जाता है। खर्राटे लेने वालों पर हुई रिसर्च और अध्ययनों से पता चला है कि खर्राटों की तीव्रता और आवृत्ति काफी कम हो जाती है अगर व्यक्ति साइड के बल पर सोये।
 
मोटापा या बहुत ज्यादा वजन

 
जिन लोगों ने वजन बढ़ने के बाद खर्राटे लेना शुरू कर दिया है, वे अगर वजन कम करते हैं तो खर्राटों की समस्या से निजात मिल सकती है। मोटे लोगों की गर्दन के हिस्से में अतिरिक्त टिश्यू और फैट होता है, जिससे वायुमार्ग का आकार कम हो सकता है और वायुमार्ग के नुक़सान का खतरा बढ़ सकता है। कई स्टडी ने साबित किया है कि वजन घटाने से खर्राटों को कम किया जा सकता है और वजन घटाने के कारण खर्राटे पूरी तरह से ख़त्म हो जाते हैं।

 

 
नाक का रास्ता ब्लॉक होने पर

 
नाक के रास्ते को खुला रखा जाये तो भी खर्राटों को कम किया जा सकता है। जब नाक बंद हो जाती है या ब्लॉक हो जाती है, तो हवा बहुत तेजी निकलती चलती है, जिससे खर्राटे आते हैं। गर्म तेल की मालिश या नाक में तेल की बूंदें डालने बंद नाक से राहत मिलती हैं। इसके अलावा सोने से पहले गर्म पानी से स्नान काफी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इससे नमी नाक के रास्ते को खोलती है और खर्राटों की संभावना को कम करती है।

 
हाइड्रेशन

 
हाइड्रेटेड रहना न केवल खर्राटों से बचने के लिए बल्कि सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। जब शरीर डीहाइड्रेट होता है, तो नाक और कोमल तालू में स्राव चिपचिपा हो जाता है। यह हवा के उचित प्रवाह को बाधित कर सकता है और खर्राटे की सम्भावना को बढ़ा सकता है। पुरुषों के लिए हर दिन कम से कम 3 से 4 लीटर तरल पदार्थ का सेवन करने की सलाह दी जाती है, जबकि महिलाओं को रोजाना 2 से 3 लीटर तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए।

 
धूमप्रान और शराब का सेवन

 
रिसर्चर का मानना है कि धूम्रपान करने वालों में खर्राटे एडिमा और ऊपरी वायुमार्ग में सूजन हो जाने के कारण हो सकते हैं। हालांकि इसका प्रभाव दिखाने में समय लगता है लेकिन धूम्रपान छोड़ने से खर्राटों की संभावना को काफी कम किया जा सकता है। शराब से भी वायुमार्ग के आसपास की मांसपेशियों को रिलैक्स कर देता है, जिससे शराब पीने वालों में खर्राटे आने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए अक्सर यह सलाह दी जाती है कि सोने से कुछ घंटे पहले शराब का सेवन न करें।

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