प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार (NDA Government) ने साल 2019 के अंत तक कई अहम फैसले लिए, जिनकी आलोचनाएं हुईं,

जिन पर चर्चाएं हुईं और कुछ फैसले विवाद का विषय भी बने। यह साल खत्म होने को है और 2020 की शुरूआत होने ही वाली है।

ऐसे में भाजपा और मोदी सरकार के लिए क्या-क्या चुनौतियां आने वाली हैं।

CAA पर असहमति बरकार

Caa protest

नागरिकता संशोधन कानून पर मोदी सरकार देशव्यापी सहमति बनाने पर नाकाम रही है। शीर्ष नेतृत्व द्वारा इस कानून के समर्थन में रैलियां करने के बावजूद पीएम मोदी सोशल पर इसके समर्थन में कैंपेन चलाना पड़ा है।

बावजूद इसके छात्र, युवा व कई विपक्षी दल इस कानून के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।

नववर्ष 2020 में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के समक्ष नागरिकता कानून पर बरकार असहमति को सहमति में बदलने की प्रमुख चुनौती होगी।

बदहाल अर्थव्यवस्था को सुधारना

indian economy

घेरलू व वैश्विक मोर्चे पर भारत की अर्थव्यवस्था लगातार बदहाल हो रही है। विपक्षी पार्टियों अर्थव्यवस्था के बदतर हालात को मुद्दा बनाया हुआ है।

मई में दूसरी बार बनी मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 4 जुलाई 2019 को पहला आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया था, जिसमें 2019-2020 वित्तीय वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर को 7 फीसदी रखा गया था और 2024 तक 5 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही गई थी। 

मगर मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान 2019 के लिए घटाकर 5.6 फीसदी कर दिया है।

यानी 2019-2020 के लिए आर्थिक विकास दर 7 फीसदी बनाने का सरकार का दावा फेल रहा। इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी ने जीडीपी का अनुमान 7 प्रतिशत से घटाकर 6.1 फीसद कर दिया है।

वहीं, वर्ल्ड बैंक ने भी 7 फीसदी का अनुमान घटाकर छह फीसदी कर दिया है। साथ ही एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भी 2019-2020 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान 6.5 फीसदी से घटाकर 5.1 फीसदी कर दिया है। मोदी सरकार के लिए वर्ष 2020 में बदहाल अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करना होगा। 

दिल्ली की सत्ता पर नज़र

delhi election 2020

भाजपा शीर्ष नेतृत्व के लिए सबसे बड़ी और पहली चुनौती दिल्ली फतेह करने की होगी क्योंकि बीजेपी दिल्ली की सत्ता से करीब 20 सालों से दूर है।

कुछ लोग इसे भाजपा का वनवास भी कहते हैं। फरवरी में प्रस्तावित दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर अमित शाह समेत कई दिग्गज नेताओं की रैलियां होनी है। फिलहाल, दिल्ली की सत्ता पर आम आदमी पार्टी का कब्ज़ा है।

बिहार में बिगड़ सकती है स्थिति

bihar election 2020

साल 2019 जाते-जाते भाजपा को कड़ा झटका देकर गया है। पहले 50-50 के फॉर्मूले पर सहमति नहीं बन पाने के कारण भाजपा को महाराष्ट्र में सहयोगी पार्टी शिवसेना से सत्ता गंवानी पड़ी।

फिर झारखंड में रघुवर दास राज चला गया। इन शिकस्तों के साथ भाजपा साल बीता। फिलहाल, भाजपा की नज़रें अक्टूबर-नवंबर 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं, जहां सहयोगी दल जद(यू) के साथ गठबंधन की सरकार में है।

हाल ही में जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने जेडीयू को चुनाव में अधिक सीट देने की मांग की है।
 

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